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Deepfake पर सख्ती की तैयारी: सरकार ला रही सख्त कानून

Deepfake क्या है और क्यों है खतरनाक?

Deepfake एक उन्नत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक है, जिसके जरिए किसी व्यक्ति की आवाज़, चेहरा और हाव-भाव को इस तरह बदला जा सकता है कि नकली कंटेंट असली जैसा लगे। इसमें वीडियो, ऑडियो और तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ कर उन्हें इस तरह पेश किया जाता है कि दर्शक असल और नकली में फर्क नहीं कर पाता।

Deepfake का इस्तेमाल हाल के वर्षों में गलत मकसदों के लिए तेज़ी से बढ़ा हैजैसे कि फर्जी वीडियो बनाकर किसी को बदनाम करना, गलत सूचना फैलाना, अश्लीलता फैलाना, या फाइनेंशियल फ्रॉड करना। इससे केवल लोगों की प्रतिष्ठा को नुकसान होता है, बल्कि समाज में भ्रम और अविश्वास भी फैलता है।

राजनीति से लेकर व्यक्तिगत जीवन तक, Deepfake के असर

Deepfake तकनीक के ज़रिए अब राजनेताओं, मशहूर हस्तियों और आम लोगों को टारगेट किया जा रहा है। चुनावी माहौल में नेताओं के फर्जी बयान या वीडियो वायरल करना, महिला चेहरों को अश्लील वीडियो में जोड़ना, या किसी की आवाज़ का इस्तेमाल कर बैंक या रिश्तेदारों से धोखाधड़ी करनाये सब अब आम होते जा रहे हैं।

हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहाँ Deepfake तकनीक का दुरुपयोग कर लोगों की निजता और प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचाया गया है।

सरकार की नई पहल: Deepfake कानून की रूपरेखा तैयार

इन बढ़ते खतरों को देखते हुए केंद्र सरकार ने Deepfake पर लगाम लगाने के लिए एक सख्त कानून लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) इस दिशा में एक ठोस कानूनी ढांचा तैयार कर रहा है, ताकि Deepfake कंटेंट बनाने, साझा करने या फैलाने वालों पर कठोर कार्रवाई की जा सके।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ेगी जवाबदेही

सरकार यह सुनिश्चित करने की दिशा में भी काम कर रही है कि सोशल मीडिया कंपनियां, जैसे फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, और व्हाट्सऐप, Deepfake कंटेंट को जल्दी से हटाएं और ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग की व्यवस्था करें। नए कानूनों में सोशल मीडिया कंपनियों की जवाबदेही तय की जाएगी, और उन्हें एक निश्चित समय सीमा के भीतर कार्रवाई करनी होगी।

Deepfake फैलाने वालों को होगी जेल और जुर्माना

नए प्रस्तावित कानून के तहत Deepfake कंटेंट बनाना या उसे प्रसारित करना एक संज्ञेय अपराध माना जाएगा। इससे संबंधित अपराधियों को 3 से 7 साल तक की जेल और ₹10 लाख तक का जुर्माना हो सकता है। यह सजा इस बात पर निर्भर करेगी कि Deepfake का इस्तेमाल किस उद्देश्य से और किस हद तक किया गया है।

जनता को जागरूक करने के लिए चलाया जाएगा अभियान

कानून के साथ-साथ सरकार जन जागरूकता अभियान भी चलाएगी ताकि आम नागरिक Deepfake की पहचान कर सकें और ऐसे किसी भी कंटेंट को बिना पुष्टि के फैलाएं। इसके अलावा, आम जनता को यह भी बताया जाएगा कि वे किस तरह Deepfake मामलों की शिकायत Cyber Cell या Relevant authorities से कर सकते हैं।

AI तकनीक पर सरकार का फोकस: रेगुलेशन जल्द

सरकार केवल Deepfake ही नहीं, बल्कि जनरेटिव AI की अन्य तकनीकों जैसे कि AI चैटबॉट्स, वॉयस क्लोनिंग, और इमेज जेनरेशन पर भी नजर रख रही है। इसके लिए एक व्यापक AI रेगुलेशन फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा है, ताकि तकनीक का इस्तेमाल केवल सकारात्मक और सुरक्षित उद्देश्यों के लिए हो।

Deepfake एक गंभीर और तेजी से फैलता खतरा बन चुका है। इस पर नियंत्रण के लिए सरकार का यह कदम समय की मांग है। नए कानून और सोशल मीडिया पर बढ़ती जिम्मेदारी के साथ उम्मीद की जा रही है कि Deepfake के दुरुपयोग पर लगाम लगेगी और डिजिटल दुनिया अधिक सुरक्षित बनेगी।